चिन्तामुक्त जीवन
व्यर्थ में चिंतित होना नहीं,
संकट में धैर्य खोना नहीं।
होगा वही जो लिखा किस्मत में,
परेशानियों में रोना नहीं।।
क्या लेकर आया था जग में,
जिसे खोकर तू रोता है।
कितना ही कर दिखावा बन्दे,
काटता वही है जो बोता है।।
जो आज तेरा है कल किसी और का था,
वही कल किसी और का होयेगा।
कर ले जीभर के मजे इस जीवन में,
कल तू भी इससे हाथ धोएगा।।
हँस ले खिलखिलाकर अभी मौका है,
जीवन मरण सब धोखा है।
जिस महल को तूने समझा है अपना,
रब के लिए वो एक खोखा है।।
ये कठिन दौर कल चला जाएगा,
गर तू तनाव में आ गया तो रह जाएगा।
जिसकी चिंता में तू है इतना व्यथित,
वही कल तुझे अकल का दुश्मन बताएगा।।
रचयिता
हरीश कोठारी,
सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय ग्वाड़ी,
विकास खण्ड-गंगोलीहाट,
जनपद-पिथौरागढ़,
उत्तराखण्ड।
सुंदर👌👌
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना👍👍
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना 🙏
ReplyDelete