सच्ची ईद

 मस्जिद से आती अजान,

 खुशियों का पैगाम लाई है|

 माहे रमजान के होते ही,

 मीठी ईद उल फितर आई है|

 मीठी -मीठी सेवइयाँ खाकर,

 मन में मिठास प्यार की घोलें|

 रहे ना कोई भी रकीब अब,

 मन की बंद किवाड़ें खोलें|

 यह देश है मेरा भारत,

 इसकी है गंगा जमुनी संस्कृति|

 यहाँ "सलमा" के दुपट्टे पर,

 "श्यामा" की माँ है तारे जड़ती|

 सुबह-सुबह यहाँ सज धज कर,

 राहुल, रहीम घर जाता है|

 ईद मिलन जब करते दोनों,

 सबका मन खिल जाता है|

 अमन चैन की माँगें सब दुआ,

 पैगंबर साहब की सीख यही है|

 मन में द्वेष ना बैर किसी से,

 मित्रों, सच्ची ईद वही है|


रचयिता

भारती खत्री,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर मकरंदपुर,

विकास खण्ड-सिकंदराबाद,

जनपद-बुलंदशहर।



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