माँ का आँचल

माँ तेरे आँचल में मुझको                      

कोई डर नहीं लगता 

कुछ भी हो खौफनाक 

मंजर नहीं लगता 


तेरा हाथ है सर पर 

तो महफ़ूज़ हूँ मैं 

संकट कोई आएगा 

यह भी डर नहीं लगता 

माँ  तेरे आँचल में

मुझको कोई डर नहीं लगता 


विदा हो मायके से 

आई ससुराल की दहलीज 

मिले यहाँ रिश्ते नये 

पर तेरे बिना मन नहीं लगता 

जो आऊँ लौटकर 

मिलने मायके में कभी 

तू ना हो घर पर 

तो घर, घर नहीं लगता 

माँ तेरे आँचल में 

मुझको कोई डर नहीं लगता 


तूने जो लुटाई ममता हम पर 

कभी नहीं समझ पाई 

जब खुद माँ बनी 

तब तेरी कुर्बानी समझ आयी  

तेरी ममता का मोल 

कभी चुकाया जा नहीं सकता 

तूने जो दिया है अनमोल खजाना 

तो बेटियों पर लुटा रही ममता 

माँ तेरे आँचल में 

मुझको कोई डर नहीं लगता 


रचयिता

रेनू चौधरी,
एआरपी विज्ञान,      
विकास खण्ड-मुरादनगर,
जनपद-गाजियाबाद।



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