विश्व धूम्रपान निषेध दिवस
दर्द-ओ-ग़म से हर कोई हारा,
धूम्रपान से पाना चाहे छुटकारा।
गुटखा, खैनी, सिगरेट, बीड़ी,
दूषित करता समाज हमारा।
दिखावे की इस दुनिया में सब,
पैंग पीना माने विलासिता यारा।
बीके घर, खेत और खलियान,
नशे में डूबे को मय लगे प्यारा।
मधुशाला में हारा सब कुछ,
लगे दाँव पर ये जीवन सारा।
भाँति-भाँति के रोग लगाकर,
कड़वी दवा खाये तब खारा।
जीवन को मिन्नत हैं तब करते,
कैंसर फैले जब शरीर में सारा।
नशे की लत से दूर रहें हम सब,
हाथ उठाकर संकल्प हो हमारा।
धूम्रपान को समाज से मिटाकर,
स्वस्थ खुशहाल जीवन हो प्यारा।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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