हिन्दी पत्रकारिता दिवस
भाव शून्य जहाँ सब हो जाते,
वहाँ कलम ये चलती है।
सच कहने से जब हम कतराते
वहाँ कलम ये चलती है।
रोटी पर जब पड़ते डाके,
वहाँ कलम ये चलती है।
सोया हुआ ईमान न जागे,
वहाँ कलम ये चलती है।
जनता जब हो जाए निर्बल,
वहाँ कलम ये चलती है।
बढ़े झूठ और कुत्सित दल बल
वहाँ कलम ये चलती है।
सत्ता जब होती मतवाली,
वहाँ कलम ये चलती है।
होतीं जब करतूतें काली,
वहाँ कलम ये चलती है।
परिवर्तन की जब हो कोशिश,
वहाँ कलम ये चलती है।
देश विरुद्ध जब पनपे साजिश,
वहाँ कलम ये चलती है।
अंतर्द्वंद जब उमड़ने लगते,
वहाँ कलम ये चलती है।
'अनुराग' जब भक्षक बढ़ने लगते
वहाँ कलम ये चलती है।
रचयिता
डॉ0 अनुराग पाण्डेय,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय औरोतहरपुर,
विकास खण्ड-ककवन,
जनपद-कानपुर नगर।
Comments
Post a Comment