गौतम बुद्ध

बौद्ध धर्म में आस्था रखने का त्योहार,

वैशाख माह की पूर्णिमा को आता ये त्योहार,

आज ही अवतरित हुए गौतम बुद्ध महान,

आज ज्ञान प्राप्ति का मिला था शुभ अवसर।


धन्य हैं राजा शुद्धोधन पाए अनमोल रतन,

पुत्र को सुख देने का किया हर एक जतन,

बचपन का नाम सिद्धार्थ, थे बहुत ही गंभीर,

दुख को देखकर सत्य जानने का किया यत्न।


प्रथम बार दर्शन हुए वृद्धावस्था बीमारी का,

मृत्यु को देखा प्रश्न उठा फिर लाचारी का,

आँखें उनकी ये दृश्य भूल नहीं पाई,

जन्म हुआ नए उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति का।


जीवन के सत्य से दुनिया का परिचय कराया,

हिंसा का त्याग करके अहिंसा को अपनाया,

मानवता को संसार का श्रेष्ठ धर्म बताया,

जाति- पाँति, ईर्ष्या को मानव का शत्रु बताया।


गौतम बुद्ध के मार्ग पर चलकर हम कुछ कर पाए,

स्वर्ग जैसी हो सृष्टि दानवता टिक ना पाए,

पंचशील सिद्धांत अपनाएँ, आचार विचार सुधारें,

बुद्ध जैसा जीवन कर लें, पशुता नष्ट हो जाए।


आदर्श समाज बनाकर मूल्यों की नींव रखनी है,

सर्वधर्म समभाव की स्थापना भी करनी है,

सुरभित है इनसे जीवन बुद्धदेव का अभिनंदन,

प्रयोजन की ओर चलकर मंजिल हमें पानी है।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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