है पंत जी सादर नमन
कौसानी अल्मोड़ा में जन्मे,
छायावादी कवियों में चमके
प्रकृति के चतुर- चितेरे
गौरवमयी है काव्य सृजन
हे दिव्य आत्मा! हे ज्ञानपुंज!
है पंत जी सादर नमन।
सुकुमार कवि, सरल, सहज आप
कविकुल के मूल स्तंभ आप
रचना में बसे सदा ग्राम, पर्वत।
नीर, वन, तरु, उपवनों के रूप
सांझ-प्रात, सुख- दुख,
उषा किरण, लता अर पुष्प।
तारों की चुनरी ओढ़े।
आती संध्या काव्य में बन उपादान
साहित्य उत्कृष्ट, सरल सृजन
है पंत जी सादर नमन।
स्वर्ण-किरण, वाणी, पल्लव।
युगांत, ग्राम्या रचनाओं में
प्रखर स्वरों में, प्रगति पथों में।
छुटपन में पैसे बोने में
बसे सुगंधित पुष्प- कली बन।
है पंत जी सादर नमन।।
कोमल भावों, सूक्ष्म कल्पनाओं में,
प्रगतिवाद व परोपकार में,
पत्र- पुरस्कार, छायाचित्रों से,
दिया प्रकृति संदेश सनातन
कर्मों से जग में अमर अद्यतन,
है पंत जी सादर नमन।
रचयिता
गीता जोशी,
सहायक अध्यापक,
राजकीय कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय जैनौली,
विकास खण्ड-ताड़ीखेत,
जनपद-अल्मोड़ा,
उत्तराखण्ड।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति मैम
ReplyDeleteवाह! बहन गीता जी बहुत उम्दा :)
ReplyDeleteबहुतख़ूब👌👌👌
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