समझ ना आवे
एक बात समझ ना आवे,
क्यों नशे की लत लग जावे?
स्वास्थ्य की कर दे ऐसी तैसी,
हमको बड़ा रुलावे।
हँसते खेलते मानव को फिर,
खून के आँसू रुलावे।
कैंसर जैसी जानलेवा,
बीमारी फैलावे।
एक बात .............
मधुमेह का खतरा मण्डरावे,
प्रजनन की क्षमता घटावे।
श्वांस रोग को गले लगाकर,
हृदयाघात कर जावे।
समय से पहले पड़ें झुर्रियाँ,
और बूढ़ा हमें बनावे।
एक बात...............
बीड़ी, सिगरेट और तम्बाकू,
जेबें खाली कर जावे।
आए दिन हम सबको ही,
डॉक्टर के पास ले जावे।
रोना धोना हो हर घर में,
जीवन नरक बनावे।
एक बात....…
निकोटीन रिप्लेसमेंट की,
थेरेपी जो अपनावे।
धूम्रपान की लत से वो,
छुटकारा पा जावे।
पा जाए निरोगी काया वो,
जीवन खुशहाल बनावे।
एक बात...........
धूम्रपान का मुझको कोई,
एक ही लाभ बतावे।
जाल नशे का फैलाकर,
मौत हमको गले लगावे।
धूम्रपान पर सरकार ना जाने,
क्यों ना रोक लगावे?
एक बात.......
आओ हम सब मिलकर आज,
शपथ एक उठावें।
जीवन खुशहाल बनाने को,
धूम्रपान से दूरी बनावें।
घर परिवार और देश समाज में,
जागरूकता फैलावें।
एक बात..........
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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