माँ
कैसे करूँ माँ तेरा बखान
तू तो है धरा पर ईश का वरदान।
तेरी महिमा गाउँ मैं कैसे??
मिला ना ऐसे शब्दों का ज्ञान।
ममता का एहसास है तू।
जीवन का मधुमास है तू।
धरती पर विश्वास है तू।
अम्बर सा आभास है तू।
सागर की गहराई सा
वेग प्रबल प्रवाह है तू।
रिश्तों के बाजार में देखो
इक सच्चा स्पर्श है तू।
तुझ बिन जीवन बने ना मधुबन
जीवन का सुख - चैन है तू।
जीवन को तू देती आकार
सबकी प्राण- आधार है तू।
तपती धूप की गर्म तपिश में
पीपल की ठंडी छाँव है तू।
जीवन की मुश्किल घड़ियों में
हारे मन की जीत है तू।
तुझसे सब है, तुझमें रब है
तू धरती आकाश है तू।
एक दिन में माँ कैसे बाँधूँ
मैं तेरे अहसास को माँ!!!
तुझसे ही तो वजूद है मेरा
जीवन भर का साथ है तू।।
माँ का कोई एक दिन नही होता, माँ है तो जग है। माँ है तो रिश्तों का संसार है माँ है तो संस्कार है। इसलिए कद्र करो जिनकी माँ पास है वरना तो फिर बस यादें ही रह जाती है जाने वाला तो कभी लौट कर आता नही। अफसोस का मौका ना दें बाद में सिर्फ पछतावा ही हाथ लगता है। माँ का मान करो माँ का सम्मान हर दिन करो।
रचयिता
मंजरी सिंह,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उमरी गनेशपुर,
विकास खण्ड-रामपुर मथुरा,
जनपद-सीतापुर।
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