कबीर
न हिंदू थे,
न मुसलमान थे।
कबीर तो बस,
अच्छे इंसान थे।।
न पढ़े थे,
न लिखे थे।
जीवन की शिक्षा में,
अन्तस तक गढ़े थे।।
आडंबर हटाना,
सच्चाई सुझाना।
दोहों से अपने,
राह सबको बताना।।
दो शिष्य थे उनके,
भागोदास धर्मदास।
विरासत को सहेजा,
पहुँचायासबके पास।।
रचयिता
अंजू गुप्ता,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय खम्हौरा प्रथम,
विकास क्षेत्र-महुआ,
जनपद-बाँदा।
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