गंगा माँ
पापनाशिनी माँ गंगे बिन होना नहीं गुजारा है,
गुजरी मेरी मैया जहाँ से पावन होता किनारा है।
शिव की जटा से निकली मंगलकारी शुभ करणी,
गंगा है कितनी महान वेदों ने किया तेरा गुणगान।
तेरा नाम लेता है जो विष्णु लोक को जाता,
गोमुख से चलकर आती सब नदियों से तेरा नाता।
गंगा आती देवप्रयाग तक अलकनंदा से मिलकर,
उर्वर धरती को बनाने उतरती हो मैदानों तक।
जीवनधारा हो देश की देव नदी कहलाती हो,
जीवन का उपहार देकर विश्राम सागर में करती हो।
पापनाशिनी देव तुल्य तुम हम सब का उपहार हो,
भारत की पहचान तुम हम सब का आधार हो।
तुम्हारे निर्मल तट पर बसे हैं कितने तीर्थ धाम,
तुम सा ना कोई दूजा गंगा तू कितनी महान।
पुण्य सलिला, पापनाशिनी, भागीरथी तुम मंदाकिनी,
स्वीकार करतीं सब की पूजा माँ तू निर्मल मनस्विनी।
Comments
Post a Comment