पिता
एक दिवस विशेष ही मात्र नहीं,
संतति प्रति क्षण पिता का कृतज्ञ है।
जिसके होने से पूर्ण होती कामना,
पिता वो अमूल्य निधि और महायज्ञ है।
हिमालय सा उच्च मनोबल,
और कठोर इनका त्याग है।
इनके चरण रेणु का आशीष
अतुल्य जितना तीर्थराज प्रयाग है।
अपने सम्पूर्ण जीवन के संचित कर्मों,
पुण्य को अर्पित करता निःस्वार्थ भाव से।
व्यक्त करता नहीं पिता स्नेह को कभी,
किंतु नारियल फल सा है स्वभाव से।
शब्दों व भावों की महिमा न्यून है,
पिता शब्द के अभिप्राय के लिये।
सृष्टि की हर वस्तु तुच्छ है 'अनुराग'
किसी भी पिता को प्रदाय के लिए।
रचयिता
डॉ0 अनुराग पाण्डेय,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय औरोतहरपुर,
विकास खण्ड-ककवन,
जनपद-कानपुर नगर।
Wow 👌
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