योग करे निरोग
सकल धरा में अपना भारत,
विश्व गुरु कहलाया,
"षड्दर्शन" का परिचय देकर,
स्व-आनंद सिखाया|
सर्वश्रेष्ठ है योग दर्शन,
आंतरिक सुख देता है,
अष्टांगों से परिपूर्ण है,
स्वास्थ्य सुगम कर देता है|
रूप व्यायाम का नहीं ये केवल,
आत्मज्ञान का प्रेरक है,
इक-इक 'आसन" योग क्रिया का,
हर "व्याधि" का भेदक है|
भोर की सूर्य लालिमा में जब,
योगी "योग साधना" करे,
शुद्ध विचार, चित्त हो निर्मल,
मुख मंडल का तेज बढ़े|
"ऋषि पतंजलि" योग के दाता,
"योग सूत्र" के हैं रचयिता,
यंत्र रूपी हर एक सूत्र है,
आदि योगी के रूप प्रणेता|
वर्तमान युग जटिल बड़ा है,
सरल बनाना इसे आसान,
दैनिक "योग क्रिया" अपनाएँ,
आसन, भक्ति, ज्ञान और "ध्यान"|
संस्कारों की "थाती" हमको,
सौंपनी होगी नव पीढ़ी को,
"योग" को अपनायें जीवन में
गौरवमयी करें भारत को|
रचयिता
भारती खत्री,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर मकरंदपुर,
विकास खण्ड-सिकंदराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
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