बलिदान दिवस- रानी लक्ष्मीबाई
नाम अमर भारत के,
इतिहास में है जिनका।
बलिदान दिवस है आज,
उस अमर विशाखा का।।
नभ, जल, थल गाएँ अमरकीर्ति,
जिनकी अभिलाषा का।
वीरों में वीर लक्ष्मीबाई,
जिनकी यश, गाथा का।।
बचपन में सीखी घुड़सवारी,
तलवार चलाना इन्होंने।
झाँसी को गौरव दान दिया,
होकर के कुलवधू इन्होंने।।
काल क्रूर कितना आया,
संतान व राजा को छीना।
जिम्मेदारी शासन की पड़ी,
रानी को अकेले था जीना।।
एक महिला शासक राज्य करे,
अंग्रेजों को यह कब भाता।
भारत में हो साम्राज्य ब्रिटिश,
इससे ही उनका था नाता।।
अंग्रेजों की वो कुटिल नीति,
साम्राज्य बढ़ाते थे अपना।
झाँसी भी अछूता नहीं रहा,
दुर्दान्तों का था जो सपना।।
सन् सत्तावन की क्रान्ति में,
रानी जी-जान से कूद पड़ीं।
भारत से भगाएँ गोरों को,
उनकी वाणी यह बोल पड़ी।।
झाँसी की रक्षा की खातिर,
रानी लड़ी थीं जाँबाजी से।
था किया परास्त अंग्रेजों को,
अपने पराक्रमी वेगों से।।
शौर्य कथाएँ विविध रूप में,
रानी की हम गाते हैं।
रानी ने ऐसा काम किया,
गौरवान्वित हम हो पाते हैं।।
है धन्य धरा यह भारत की,
वीरांगना ने जहाँ जन्म लिया।
मातृभूमि आजादी हित,
अपना जीवन बलिदान किया।।
रचयिता
अरविन्द कुमार सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धवकलगंज,
विकास खण्ड-बड़ागाँव,
जनपद-वाराणसी।
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