करो योग रहो निरोग
विश्व में सबसे प्राचीन है भारतीय संस्कृति
भारत देश से ही हुई योग की उत्पत्ति,
उल्लेख है चार वेदों का शास्त्रों में हमारे
ऋग्वेद से ही हुई है योग की निष्पत्ति।
नित निरंतर चलने वाली क्रिया है योग
अपनाएँगे जीवन में तो रहेंगे निरोग,
चुस्त-दुरुस्त सुंदर सुडौल होगी जब काया
नहीं मिलेगा उपचार से भी ऐसा संयोग।
दूर करनी है जो अपनी सारी व्याधि
कभी उपयोग नहीं करनी है जो औषधि,
तो रखो मन में यह संकल्प कि करेंगे
हम प्रतिदिन योग एक निश्चित अवधि।
ऋषि मुनि भी करते हैं योग प्राचीन समय से
योग भारत को देन है पतंजलि के सौजन्य से,
समस्त विश्व भी करता है आज योग
भारत का सिर ऊँचा है इस योगासन से।
योग करने से होता है मन मस्तिष्क निर्मल
योग में क्रियाएँ हैं कुंभक चक्रक यह सकल,
बीमारी रूपी दानव को भगाना है
प्राणायाम योग को नित अपनाना है।
प्राणायाम है योग की आत्मा
एकाग्रता से निकट होता है परमात्मा,
कौशल भी विकसित होता है योग से
अंतर्मन में करो दर्शन वह होगी दिव्यात्मा।
रचयिता
ज्योत्सना रतूड़ी ज्योति
सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पालर,
विकास खण्ड-नौगांव,
जनपद-उत्तरकाशी,
उत्तराखण्ड।
शानदार
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