पिता
जो बिना कुछ कहे बच्चों का चेहरा पढ़ लेतें हैं,
वही तो पिता होते हैं।।
जो बच्चों की खुशियाँ खरीदने में खुद को खर्च कर देते हैं,
वही तो पिता होते हैं।।
जो बाहर से सख्त नरियल और अंदर नर्म दिल रखते हैं,
वही तो पिता होते हैं।।
जो पूरे घर की ज़िम्मेदारियों का बोझ भी हँसकर उठाते हैं,
वही तो पिता होते हैं।।
जो माँ के चेहरे की चमक और खूबसूरती बढ़ाते हैं,
वही तो पिता होते हैं।।
जो अपनी जरूरतों को भी बेफिजूल खर्च बतलाते हैं,
वही तो पिता होते हैं।।
जो बच्चों का साहस और आत्मविश्वास बढ़ा जाते हैं,
वही तो पिता होते हैं।।
जो काबिले तारीफ़ है पर शब्द ही नहीं हैं,
बस वही तो पिता होते हैं।।
रचयिता
अंजली गुप्ता,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) चिल्ली,
विकास क्षेत्र- बडोखर खुर्द,
जनपद-बाँदा।
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