पिता दिवस
आज पिता दिवस पर
दिल से पिता का आभार
जिनके कंधे पर रहता है
अपने पूरे परिवार का भार
दिन - रात मेहनत करते
फिर भी थके ना दिखते
बच्चों के सुख के खातिर
अपना सुख-चैन हैं खोते
जीवन उनका सारा
दौड़- भाग में ही जाता
हमारी खुशियों की खातिर
वो ढंग से खा भी न पाता
छोटी हो या बडी़ फरमाईश
हर हाल में पूरी होती
कष्ट कितना भी सहना पड़ता
पर शिकन ना चेहरे पर दिखती
पिता को भगवान आपने
कितना महान बनाया है
मुश्किल में हों या टूटे उन पर
दुखों का कोई पहाड़
धैर्य से सब सँभाल लेते
कोई जान ना पाया इसका राज
बच्चों की हर खुशी में
पिता की खुशी होती
कामयाबी मिलती बच्चों को
पिता की सफल जिंदगी होती
जीवन के सफर में पिता
हर पल चिंता बच्चों की करते हैं
कोई आए ना मुसीबत बच्चों पर
यह सोच कर वो डर जाते हैं
समुद्र सा दिल पिता का होता है
अपनी सारी दुख परेशानी
वह इसी में छिपाए रहता है
पड़ते कमजोर जब भी पिता
उमड़ते जब आँसुओं के ज्वार
हिम्मत भी दे जाती जब जबाब
फिर भी दिलासा देते सबको
मजबूत स्तम्भ बन जाते
पिता की छत्रछाया में
हम खुद को सुरक्षित पाते
पिता के ऋण से क्या कोई
ऋणमुक्त कभी हो पाया है?
सात जन्म लेकर भी
अगर कोई दुनिया में आया है।
रचयिता
दीपा कर्नाटक,
प्रभारी प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय छतौला,
विकास खण्ड-रामगढ़,
जनपद-नैनीताल,
उत्तराखण्ड।
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