विश्व सौहार्द दिवस
मिलते गए लोग कारवां बनता गया,
सुबह टहलने से सिलसिला चलता गया।
इंसान सुख-दुख अपना बाँटने के लिए,
प्रेम, सौहार्द मेल मिलाप में डूबता गया।।
घर परिवार के बिना हर बात अधूरी है,
परिवार के साथ कटता है जीवन सारा।
हर सदस्य लुटा देता एक-दूसरे पर प्यार सारा,
शुभचिंतक, मित्रमंडली जीवन में सब हैं जरूरी।।
हमारे देश की पहचान है भाईचारा,
आने पर समय एक-दूसरे का थामते हाथ।
आए जब त्यौहार प्रेम संदेशा फैलाएँ,
सौहार्द भावना से दिल भर जाए सारा।।
प्रेम, सौहार्द भाईचारा कहीं खो रहा है,
दिया है जीवन तो प्रेम से इसको जी लो।
कहते हैं चार दिन की होती है जिंदगानी,
नफरत हटा प्रेम को दिलों से भर लो।।
रचयिता
शालिनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बनी,
विकास खण्ड-अलीगंज,
जनपद-एटा।
आज के समय में इंसान बदल गया है । उसे अपने से प्रेम रह गया है।
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