सात सुरों की सरगम
गीत-संगीत का ये चमन,
सात सुरों का है यह मिलन।
सा, रे, गा, मा, पा, धा, नि, सा,
सुरभित इन्हीं से है सरगम।।
‘सा’ कहता है साथ रहो,
और सबको गले लगाओ।
'रे’ कहता है दौड़ लगाकर,
मंजिल को पा जाओ।।
‘गा’ कहता है गाओ खुलकर,
गीत खुशी के आज।
‘मा’ कहता है मानो माँ की,
मत करो नाराज।।
‘पा’ कहता है पाके सफलता,
चमको तुम प्रभात से।
‘धा' कहता है धागे ना तोड़ो,
प्रेम के कभी भ्रात से।।
‘नी’ कहता है नीरसता को
दूर करो जीवन से।
‘सा’ कहता है सात सुरों की,
सरगम गाओ मन से।।
रचयिता
पूनम गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धनीपुर,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।
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