महाराणा प्रताप

राणा का नाम सुना ना हो भारत में कोई नहीं ऐसा, 

आओ जानें उस राजपूत, योद्धा का जीवन था कैसा। 


वह परमवीर एक देशभक्त, गौरव था राजस्थान का, 

वह निडर, वीर, चट्टान सा, इतिहास है हिंदुस्तान का।

वह मातृभूमि का भक्त बड़ा, वह शूरवीर था रखवाला।। 

वो महाराणा वो शूरवीर, वो परमवीर वो मतवाला।। 

 वह पुत्र उदय सिंह राणा का, राणा सांगा का पोता था,

जब युद्ध भूमि में लड़ता था, हर शत्रु जीवन खोता था। 

जयवंती उसकी माता ने, जन्मा था अद्भुत शूरवीर। 

चेतक पर बैठके उड़ता था, ना चूका उसका कोई तीर।। 


अतुलित बल था और बुद्धि प्रखर, किस्से उसके प्रचलित जग में। 

काया मन-हरनी, परमवीर, बाधा न कभी टिकती मग में।। 

बरछी तीरों से खेला वो, भाता उसको कटार भाला। 

मातृभूमि पर मिटने वाला, शूरवीर था वो रखवाला।। 


हल्दीघाटी के युद्ध में जब वो बुरी तरह से हारे थे, 

परिवार के संग पहाड़ों पर, राणा ने दिवस गुजारे थे। 


 फिर पिता की मृत्यु होने पर बैठे अपने सिंहासन पर, 

तैयार हो हमला कर डाला, फिर से अकबर के शासन पर। 


चेतक पर बैठ लड़ाई की, भीषण तलवार चलाई थी। 

चुन-चुन कर मारा मुगलों को, अकबर ने मुँह की खाई थी। 


नीले घोड़े पर चढ़कर के, उसने कोहराम मचाया था, 

अद्भुत ये पराक्रम देख वहांँ, हर इक सैनिक घबराया था। 


कभी उसने समर्पण किया नहीं, कभी उसने हार न मानी थी, 

शत-शत वंदन उस माटी को, जन्मी जिसमें ये कहानी थी।। 

 

रचयिता

पूनम गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धनीपुर,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।




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