मेरे पिता
परिचय उनका क्या दे कोई,
प्रभु जैसी सूरत के स्वामी|
मंद-मंद मुस्काते हरदम,
मन को जाने अंतर्यामी|
सुख की छाया में रखा हरदम,
दुःख की धूप न हमने देखी|
जो भी चाहा हम बच्चों ने,
आपने पल में पूरी कर दी|
कठिन परिश्रम, लगन, सफलता,
आपके जीवन में है झलकती|
शब्द भले ही सीमित से हों,
प्यार की गंगा जमुना बहती|
नहीं चाह कभी किसी चीज़ की,
लीन हैं जैसे, साधक योगी|
केवल देना ही सीखा है,
कभी ना देखा उनमें लोभी|
अपने बच्चों के कष्टों में,
स्वयं विह्वल हो जाते हैं|
अपना सर्वस्व न्योछावर करते,
वो मनुज पिता कहलाते हैं||
रचयिता
भारती खत्री,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर मकरंदपुर,
विकास खण्ड-सिकंदराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
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