1000 काव्यांजलि

तर्ज:- अंखियों के झरोखों से

काव्यांजलि की रचना, सबके मन में बसना।
इनको हम पढ़ते जाएँ, इनको हम पढ़ते जाएँ।।
यह काव्य है रचती, है बहुत कुछ कहती।
 इनको हम बढ़ाते जाएँ, इनको हम पढ़ते जाएँ।।

काव्यांजलि  जब  से  शिक्षक  करने  लगे हैं।
हर विषय पर प्रकरण पर काव्य बनने लगे हैं।।
तुकबन्दी होती, सुर ताल लय पाते।
आनंद पाते जाएँ, इनको हम पढ़ते जाएँ।।

हर एक विषयों को ये सरल बनाती।
 काव्यरूप में देखो रोचकता बढ़ाती।।
आकर्षक बन जाती, जब इमेज बन जाए।
ज्ञान बढ़ाते जाएँ, इनको हम पढ़ते जाएँ।।

रचयिता
आकांक्षा मिश्रा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय सिकंदरपुर,
विकास खण्ड-सुरसा, 
जनपद-हरदोई।

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