सूक्ष्म जीव

आओ कुछ हम बात करें
बिलकुल छोटे जीवों की
कुछ इनकी अच्छाई की
कुछ इनकी बुराई की।

ये पृथ्वी पर ही रहते हैं
पर न दिखाई देते हैं
और इन्हें देखने में
जो मदद है करता
उसे सूक्ष्मदर्शी कहते हैं।

कुछ होते हैं छड़ीनुमा
कुछ होते हैं गोल-गोल
अनगिनत इस धरती पर रहते
जीवाणु इनका नाम हैं कहते

कहीं हमारे मित्र बन जाते
कहीं शत्रुता दिखलाते
कहीं हमें लाभ दे जाते
कहीं रोगयुक्त भी कर जाते।

कुछ ऐसे भी जीव हैं होते
सोए-से जमीन में रहते
पर न इस भ्रम में रहना
विषाणु इनका नाम हैं कहते।

वैसे तो ये मृत समान हैं
पर जब पहुँचें मानव शरीर में
एकदम ऐक्शन में आ जाते
खूब बढ़ाते अपनी संख्या
 कई किस्म के रोग लगाते।

कम ही हैं जो दोस्त से होते
इक दूजे के काम न आते।
बचके इनसे रहना बच्चों
फैल-फैल  ये दूर तक जाते।

साफ-सफाई खूब  रखना
संक्रमण से सदा ही बचना।

कुछ एककोशिकीय और भी होते
प्रोटोज़ोआ जो कहलाते
कुछ मिट्टी उपजाऊ बनाते
कुछ खाने के काम भी आते

पानी में भी पाए जाते।
हैजा, पेचिश खूब फैलाते
पानी सदा साफ ही पीना
बीमारी से रक्षा करना।

और कुछ ऐसे जीव अजब हैं
सड़े-गले पर पैदा होते
उससे ही हैं भोजन पाते
खुद भी खाने के काम हैं आते

साफ-सफाई धरती की करते
कवक हैं इनका नाम पुकारते।
अपमार्जक भी इनको कहते
अपना काम खूब हैं करते

एक स्वपोषी जीव भी होते
अपना भोजन स्वयं बनाते
जल में अक्सर पाए जाते
सरल जीव शैवाल कहलाते

पौधों की ये वृद्धि करते
और दवा के काम भी आते
फिर भी कुछ ऐसे भी हैं
जो पौधों को रोगी करते।

सूक्ष्म जीव का ये संसार
फैला हुआ  है अपार।

रचयिता
मोनिका भण्डारी,
सहायक अध्यापक,
राजकीय कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय बल्डोगी,
संकुल-तुल्याडा़,
विकास खण्ड-चिन्याली सौड़,
जनपद-उत्तरकाशी,
उत्तराखण्ड।

Comments

  1. बहुत सुंदर मोनिका मैम।
    बधाई और शुभकामनाएं।

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