मेरी प्यारी पेंसिल
मुझको प्यारी मेरी पेंसिल,
सबसे न्यारी.. मेरी पेंसिल,
लिखना मुझे..सिखाती है,
सुन्दर लेख.....कराती है।
चाहे हो जाए....यह छोटी,
बनाए अक्षर...जैसे मोती,
हिम्मत का पाठ पढ़ाती है,
आत्मविश्वास...जगाती है।
है रबड़ से......दोस्ती गहरी,
साथ चले बनकर वह प्रहरी,
गलती पर.... झुक जाती है,
झट रबड़ से... मिटवाती है।
जब जब पेंसिल, थक जाए,
खुद को यह.. पैना करवाए,
गुणों पर धार... लगवाती है,
सफलता रहस्य...बताती है।
रचयिता
दीप्ति खुराना,
सहायक अध्यापक,
जूनियर कम्पोजिट विद्यालय पंडिया,
विकास खण्ड-कुन्दरकी,
जनपद-मुरादाबाद।
सबसे न्यारी.. मेरी पेंसिल,
लिखना मुझे..सिखाती है,
सुन्दर लेख.....कराती है।
चाहे हो जाए....यह छोटी,
बनाए अक्षर...जैसे मोती,
हिम्मत का पाठ पढ़ाती है,
आत्मविश्वास...जगाती है।
है रबड़ से......दोस्ती गहरी,
साथ चले बनकर वह प्रहरी,
गलती पर.... झुक जाती है,
झट रबड़ से... मिटवाती है।
जब जब पेंसिल, थक जाए,
खुद को यह.. पैना करवाए,
गुणों पर धार... लगवाती है,
सफलता रहस्य...बताती है।
रचयिता
दीप्ति खुराना,
सहायक अध्यापक,
जूनियर कम्पोजिट विद्यालय पंडिया,
विकास खण्ड-कुन्दरकी,
जनपद-मुरादाबाद।
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