माँ हंस वाहिनी तार दे

हे माँ हंस वाहिनी
वीणा पुस्तक धारणी वर दे,
ज्ञान का तू दीपक जला
ज्योति का संसार दे माँ।

हे माँ शारदे
द्वार तुम्हारे आया हूँ माँ,
अज्ञानता से हमें तार दे
जीवन में प्रकाश पुंज भर दे।

हे माँ जगत कल्याणी
लेखनी हम सभी की अनवरत चले,
शब्द शब्द में माँ भारती का
नित गुणगान मैं करता रहूँ।

हे माँ सरस्वती
शुचिता मन में ला दे,
हे दयामयि माँ तेरी कृपा बनी रहे
तू हमें निज प्यार दे माँ।
 
रचयिता
कालिका प्रसाद सेमवाल,
प्रवक्ता,
डायट-रतूड़ा,
जनपद-रुद्रप्रयाग,
उत्तराखण्ड।

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