शक्ति दर्शन -3, डॉ. रेणु, हापुड़
*👩🏻💼शक्ति दर्शन 3👩🏻💼*
*कर्तव्य और अधिकार*
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एक छोटा सा परिवार जहाँ एक माता-पिता एवं उनकी संतान रहती है।माता-पिता बड़ी ही निष्ठा से अपनी संतान को हर वो सुख-सुविधा देना चाहते हैं जो वह शायद अपने लिए भी ना जुटा पाए हों।
अब वही संतान है जी अपने माता-पिता को छोड़ केवल अपनी प्रगति के लिए आगे बढ़ जाती है, लेकिन अगली कड़ी में वो पुनः माता पिता के रूप में अपनी संतान द्वारा इसी प्रकार छोड़े जाते हैं।
यहाँ एक प्रश्न आता है कि क्या इस चक्र में कोई अवांछनीय अभाव था?
जी बिल्कुल उचित समझे आप।इस चक्र में अभाव था *कर्तव्य बोध* का।नैतिकता के ताने बाने से बना ये शब्द एक प्रेरणा है जिसका आधार केवल वह भाव है जिसके पीछे किसी का कोई दवाब या डर नहीं होता।
*नैतिकता के अभाव में एक भाव प्रभावी रहता है वो है अधिकार* जिसका आज के परिपेक्ष्य में अधिकतर सभी को ज्ञान रहता है।
सोशल मीडिया भी अधिकारों के प्रति समाज के हर वर्ग को जागरूक कर रहा है। एक उदाहरण अपने परिषदीय विद्यालयों का ही लेते हैं।बच्चों को निःशुल्क पुस्तक, यूनिफार्म,जूते मोजे एवम अन्य सरकारी सुविधाएं पाने का अधिकार है किंतु इस अधिकार के प्रचार में कहीं कर्त्तव्य पीछे छूट रहा है।बेशक समाज के हर वर्ग को उसका हक/अधिकार पाने और जानने का अधिकार है,बच्चों को निःशुल्क पुस्तकें पाने का अधिकार है मगर नियमित विद्यालय भेजना हम अभिभावकों का कर्तव्य है। *अच्छी* *परवरिश पाना हमारा अधिकार* है मगर *परवरिश करने वालों का जीवनपर्यंत ध्यान रखना हमारा कर्तव्य।*
*डॉ. रेणु देवी*
स.अ. प्राथमिक विद्यालय नवादा,हापुड़
*संकलनकर्ता:-*
*सरिता रॉय*
*टीम मिशन शिक्षण संवाद शक्ति परिवार*
बहुत ही अच्छे विचार आपके रेणु मैम
ReplyDeleteVry nice
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