हम बच्चे

हम बच्चों की छोटी दुनिया,
कश्तियाँ बनाती पानी में...
पर ठान अगर मन में लें तो,
लिख डालें बात कहानी में।
कर लेते हैं कुछ कठिन काम,
गुप-चुप अपनी नादानी में...
निश्छल सा है ये अपना मन,
रहता न किसी बेईमानी में।
हम छू लें चन्दा मामा को,
बस थोड़ी सी शैतानी में...
अम्बर पर इन्द्र धनुष रंग दें,
नटखट सी कारस्तानी में।
डरते न झंझावातों से,
बढ़ते रहते तूफानी में....
हौसले हमारे चट्टानी,
झुकते न कभी परेशानी में।

रचयिता
निशी श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रमपुरवा,
विकास खण्ड-बी0के0टी0,
जनपद-लखनऊ।

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