अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस

कोई बाघ कहता है, कोई टाइगर कहता है,
मगर इसका संरक्षण हो, सेंट पीटर्स वर्ग शिखर सम्मेलन कहता है।

संख्या इनकी घट रही, ये समस्या विकट है,
बाघ संरक्षण हो जरूरी, टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी कहती है।

29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय, बाघ दिवस मनाते हैं,
गणना इसकी बढ़ाने को, जागरूकता फैलाते हैं।

2010 में दिवस को मनाने की घोषणा हुई,
2022 तक आबादी दुगनी, ऐसा लक्ष्य बनाए हैं।

वैश्विक स्तर पर देखो बाघ, घट रहे निरंतर,
शीघ्र घटना कम हो इनका, मिल जाये कोई मन्तर।

साइबेरियन, बंगाल, इंडोचायना और मलायन,
जीवित ये प्रजातियाँ है और एक है सुमात्रन।

राष्ट्रीय पशु यह है, देश की शक्ति आन प्रतीक,
अनेक गुणों को सहेजे यह, बुद्धि और धीरज अतीव।

ध्यानाकर्षण हो जन का, पारिस्थिकीय महत्व बताये,
1973 में pm इंदिरा गांधी, प्रोजेक्ट टाइगर लाये।

कैलाश सांखला भारत के, टाइगर मैन कहलाये,
प्रकृतिवादी, संरक्षणवादी, संरक्षण को आगे आये।

उद्देश्य इसका वैज्ञानिक, आर्थिक, सांस्कृतिक मूल्य बताना है,
केवल लिखना नहीं उचित, क्रियान्वयन भी करना है।

रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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