बरसो मेघा
उमड़ घुमड़ कर आएँ बादल
न जाने फिर कहाँ जाएँ बादल
बरसो मेघा, मेघा बरसो
सावन बीता जाए।
धरती की प्यास बुझा दो
पेड़-पौधों को सिंचित कर दो
जीव जंतु को शीतल कर दो
सूखे खेतों में जल भर दो
सावन के झूले पड़े हैं
बरखा बिन सब सूने पड़े हैं।
हरियाली तीज का आया है त्योहार
बहू बेटी करें सोलह श्रृंगार
चूड़ी और मेहंदी पर विशेषाधिकार
पर बिन बरखा मन रहे बेकरार।
जल्दी बरसो मेघा
ऋतु चक्र ना टूटे
ग्रीष्म ऋतु के बाद
वर्षा ऋतु ना छूटे।
वर्षा तो है ऋतुओं की रानी
जल्दी बरसा दो पानी।
जब बरसेंगे बदरा
प्रदान करेंगे शीतलता
जल व्यर्थ ना जाने पाए
इसको यथासंभव संग्रहित किया जाए।
रचयिता
सुषमा मलिक,
कंपोजिट स्कूल सिखेड़ा,
विकास खण्ड-सिंभावली,
जनपद-हापुड़।
न जाने फिर कहाँ जाएँ बादल
बरसो मेघा, मेघा बरसो
सावन बीता जाए।
धरती की प्यास बुझा दो
पेड़-पौधों को सिंचित कर दो
जीव जंतु को शीतल कर दो
सूखे खेतों में जल भर दो
सावन के झूले पड़े हैं
बरखा बिन सब सूने पड़े हैं।
हरियाली तीज का आया है त्योहार
बहू बेटी करें सोलह श्रृंगार
चूड़ी और मेहंदी पर विशेषाधिकार
पर बिन बरखा मन रहे बेकरार।
जल्दी बरसो मेघा
ऋतु चक्र ना टूटे
ग्रीष्म ऋतु के बाद
वर्षा ऋतु ना छूटे।
वर्षा तो है ऋतुओं की रानी
जल्दी बरसा दो पानी।
जब बरसेंगे बदरा
प्रदान करेंगे शीतलता
जल व्यर्थ ना जाने पाए
इसको यथासंभव संग्रहित किया जाए।
रचयिता
सुषमा मलिक,
कंपोजिट स्कूल सिखेड़ा,
विकास खण्ड-सिंभावली,
जनपद-हापुड़।
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