देश के जवान
मैं नमन करती हूँ,
जो सरहदों पर जाते हैं।
जान हथेली पर रखकर,
वतन पर मिट जाते हैं।।
मैं नमन करती हूँ,
जो दुर्गम स्थल पर जाते हैं।
सारी रात जाग-जाग कर,
हमें चैन से सुलाते हैं।।
मैं नमन करती हूँ,
जो धरा की शोभा बढ़ाते हैं।
सर्वस्व बलिदान करकर,
दुश्मनों को धूल चटाते हैं।।
मैं नमन करती हूँ,
वतन की खुश्बू में सिमटे।
शहीद जवान कहलाकर,
वतन में ही समा जाते हैं।।
शत-शत नमन करूँ मैं,
सेना को जो चुनते हैं।
देशभक्ति की लौ जलाकर,
देश गौरवान्वित कर जाते हैं।।
रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।
जो सरहदों पर जाते हैं।
जान हथेली पर रखकर,
वतन पर मिट जाते हैं।।
मैं नमन करती हूँ,
जो दुर्गम स्थल पर जाते हैं।
सारी रात जाग-जाग कर,
हमें चैन से सुलाते हैं।।
मैं नमन करती हूँ,
जो धरा की शोभा बढ़ाते हैं।
सर्वस्व बलिदान करकर,
दुश्मनों को धूल चटाते हैं।।
मैं नमन करती हूँ,
वतन की खुश्बू में सिमटे।
शहीद जवान कहलाकर,
वतन में ही समा जाते हैं।।
शत-शत नमन करूँ मैं,
सेना को जो चुनते हैं।
देशभक्ति की लौ जलाकर,
देश गौरवान्वित कर जाते हैं।।
रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।
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