वीरों को नमन
आँसू न बहाना ओ माता मैं अगले जन्म फिर आऊँगा,
मेरे बाकी फर्ज़ सभी उनको चुकाने आऊँगा।।
देश की रक्षा के आगे हर फर्ज़ मेरा कमजोर पड़ा,
मेरी इस हठ के आगे दुश्मन भी कमजोर पड़ा।।
अभी तो कुछ दिन ही पहले तूने मुझको दूल्हा बनाया था,
तभी देश पर संकट आया देश ने मुझको बुलाया था।।
अपनी पत्नी से कुछ भी सुख दुःख मैं न कह पाया था,
उसके हाथों की मेहंदी का रंग भी न उतरने पाया था।।
उसको भी तू समझा देना तेरा साजन अब न आयेगा,
शहीद हुआ है वो सरहद पर वीर सपूत कहलायेगा।।
भारत माँ की सेवा को अपना धर्म बनाया हूँ,
दुश्मन को धूल चटा कर तिरंगे में लिपटा आया हूँ।।
रचयिता
शहनाज बानो,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय भौंरी -1,
विकास क्षेत्र-मानिकपुर,
जनपद-चित्रकूट।
मेरे बाकी फर्ज़ सभी उनको चुकाने आऊँगा।।
देश की रक्षा के आगे हर फर्ज़ मेरा कमजोर पड़ा,
मेरी इस हठ के आगे दुश्मन भी कमजोर पड़ा।।
अभी तो कुछ दिन ही पहले तूने मुझको दूल्हा बनाया था,
तभी देश पर संकट आया देश ने मुझको बुलाया था।।
अपनी पत्नी से कुछ भी सुख दुःख मैं न कह पाया था,
उसके हाथों की मेहंदी का रंग भी न उतरने पाया था।।
उसको भी तू समझा देना तेरा साजन अब न आयेगा,
शहीद हुआ है वो सरहद पर वीर सपूत कहलायेगा।।
भारत माँ की सेवा को अपना धर्म बनाया हूँ,
दुश्मन को धूल चटा कर तिरंगे में लिपटा आया हूँ।।
रचयिता
शहनाज बानो,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय भौंरी -1,
विकास क्षेत्र-मानिकपुर,
जनपद-चित्रकूट।
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