बरखा

घिर आये बादल अम्बर पर
अब होगी रिमझिम धरती पर,
झूमेगा मन और पुलकित तन
टर्र-टर्र बोले दादुर गण,
सफल बनेगी फसल धान की
मुस्काऍंगे पुष्प कमल दल,
महकेगी सौंधी सी खुशबू
जब मिट्टी से होगा संगम
छूटेगा अब साथ तपन से,
भीगेगा हर घर का आँगन
टप टप छप छप शोर मचाती
बोली बूँदें लो आये हम,
पंख पसारे मोर नाचता
पत्तों से बूँदें हैं झरती,
हरियाली की चादर ओढ़े
मंद मंद मुस्काये धरती।।
         
रचयिता
दीपा गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बराखेमपुर,
विकास क्षेत्र- बक्शी का तालाब, 
जनपद-लखनऊ।

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