उम्मीद

नन्हें-मुन्ने प्यारे बच्चों
अब न देर करेंगे हम।
एक बार फिर खुलेंगे स्कूल
फिर नभ में रंग भरेंगे हम।।

ऊब गए अब घर बैठे हम
अब विद्यालय जाएँगे हम।
खेलेंगे और खूब पढ़ेंगे
नया जीवन बनाएँगे हम।।

याद आती स्कूल की कक्षा
याद आती सुंदर फुलवारी।
याद आती बच्चों की मस्ती
प्यार भरी वो किलकारी।।

बच्चों की वो तू-तू, मैं-मैं
और शिकायत करना दिनभर।
कभी हँसी कभी गुस्सा आता था
याद आतीं वो बातें रह-रहकर।।

मन में है एक सुखद भरोसा
फिर वो समय आएगा।
बीतेगा ये बुरा वक्त भी
फिर अच्छा पल आएगा।।

बजेगी फिर स्कूल की घंटी
गूँजेंगे प्रार्थना के मधुर स्वर।
फिर गुलजार होंगे विद्यालय
आएगी खुशियों की लहर।।

खिलौने सारे पूछ रहे हैं
पूछ रहा सारा आँगन।
कब आएँगे प्यारे बच्चे
कब झूमेगा मेरा मन।।

इक दिन जरूर आएगा
वो दिन खुशियों वाला।
जिस दिन खुशी खुशी खोलेंगे
हम विद्यालय का ताला।।

रचयिता
सीता टम्टा,
प्रधानाध्यापिका,
रा०प्रा०वि० सारेग्वाड़,
संकुल- गैरसैंण,
विकास खण्ड- गैरसैंण,
जनपद- चमोली,
उत्तराखण्ड।

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