कारगिल विजय दिवस
कारगिल की विजय -गाथा,
कैसे सबको बताऊँ,
जांबाजों की ये कुर्बानी,
किन शब्दों में बताऊँ।
विजय दिवस है स्वतंत्र भारत का,
26 जुलाई के इतिहास बताये,
60 दिनों तक चले युद्ध का,
भारत देश विजेता कहाये।
दुश्मन का हमला ऊपर से,
बहादुर सेना नीचे डटी,
बुलंद हौंसलों के साथ,
सतर्क रही थी हर टुकड़ी।
भारत माँ के दुश्मनों को,
मार भगाने की ठानी थी,
प्रतिपल चौंकन्ना रहकर के,
विजय श्री हर हाल में पानी थी।
वर्ष 1999 की है ये घटना,
पाकिस्तान की थी ये सारी रचना,
हम भी बदले की आग में थे,
वतन की रक्षा में तत्पर खड़े थे।
आपरेशन विजय नाम सार्थक करे,
सशस्त्र संघर्ष का काम करे,
लेखनी भी आज गर्व से भर गयी,
वीर सपूतों की यादें आँख नम कर गयी।
कैसे सबको बताऊँ,
जांबाजों की ये कुर्बानी,
किन शब्दों में बताऊँ।
विजय दिवस है स्वतंत्र भारत का,
26 जुलाई के इतिहास बताये,
60 दिनों तक चले युद्ध का,
भारत देश विजेता कहाये।
दुश्मन का हमला ऊपर से,
बहादुर सेना नीचे डटी,
बुलंद हौंसलों के साथ,
सतर्क रही थी हर टुकड़ी।
भारत माँ के दुश्मनों को,
मार भगाने की ठानी थी,
प्रतिपल चौंकन्ना रहकर के,
विजय श्री हर हाल में पानी थी।
वर्ष 1999 की है ये घटना,
पाकिस्तान की थी ये सारी रचना,
हम भी बदले की आग में थे,
वतन की रक्षा में तत्पर खड़े थे।
आपरेशन विजय नाम सार्थक करे,
सशस्त्र संघर्ष का काम करे,
लेखनी भी आज गर्व से भर गयी,
वीर सपूतों की यादें आँख नम कर गयी।
रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
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