तुम आजाद थे, आजाद रहे

भारत की  आजादी  का, तुमने  बीड़ा उठाया था
आजाद थे  तुम, भारत को आजादी  दिलाया था

मौत से आँखें  मिलाते, रहते  स्वच्छंद  परवाज सा
स्वतंत्रता आंदोलन के सहयोगी, किया आगाज था

आजाद सोच - विचार थे, आजाद तुम्हारा नाम था
अंग्रेजों को  खुद ललकारा, भारती का ये काम था

भारत को जननी, स्वतंत्रता को पिता तुल्य माना था
जेलों की कोठरी, आपका घर और वही ठिकाना था

बापू से थे  प्रभावित फिर भी, राह अलग अपनाया था
खून का बदला खून, नौजवान लहू में उबाल आया था

गुलामी उन्हें मंजूर नहीं, खलबली मचा दी अंग्रेजी खेमे में
जय भारती का उद्घोष करते, डरते नहीं थे  कोड़े खाने में

प्रार्थना, याचना करना उनके, फितरत को गँवारा नहीं था
भारती के चरणो में नतमस्तक, दूजा कोई प्यारा नहीं था

कोड़े  की  हर मार  पर, "वंदेमातरम् जय" गीत  गाते थे
आजादी थी  उनकी दुल्हनिया, जवानी उस पे लुटाते थे

अल्फ्रेड  पार्क में  जब, लगी  आजादी  की  मीटिंग थी
कुछ  कायर  देशद्रोही, मुखबिर  बन  किये  चीटिंग थी

आजाद थे  तुम आजाद रहे, गुलामी ना स्वीकार किया आखिरी गोली खुद पर चला, मौत को अंगीकार किया

अंतिम  साँस तक लड़े, भारती  के  सच्चे  वीर सपूत थे  केसरिया  कफ़न  में  लिपटे, बलिवेदी  पर  चढे़  पूत थे

शत् शत् नमन करते तुझे, भारत भूमि आज आजाद है तेरे बलिदानों से सुरभित, बच्चा - बच्चा स्वतंत्र आज है

रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
डोभी, जौनपुर।

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