भगवान का दूजा रूप

भगवान का दूजा रूप कहाए।
 राजा या रंक जो भी आए।
 भेदरहित भाव से दुख दर्द मिटाए।
 ना देखते धर्म का बंधन
 ना ही देखे जात और पात।
 कर्म ही है पूजा इनकी
 कर्तव्यनिष्ठ वन सेवा करते दिन रात।
 उद्देश्य मात्र मानवता की सेवा करना।
 अपनी इनको तनिक फिकर ना।
  आज हम कोविड-19 जैसी
 महामारी का सामना कर रहे हैं।
 जहाँ अपने ही अपनों के पास
 आने से भी डर रहे हैं।
 वहाँ यह डॉक्टर्स ही हैं जो
 बिना जान की परवाह किए
 घातक बीमारी का सामना कर रहे हैं।
 नमन है इनके जज्बे को।।
 नमन है इनके जज्बे को।। 

रचयिता
रीनू पाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय दिलावलपुर,
विकास खण्ड - देवमई,
जनपद-फतेहपुर।

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