मत घबराना
हे पथिक! तुम नहीं हारना
जब तक साँस है जिन्दा,
तब तक हिम्मत न हारना।
अपनी भूल है जताना
प्रकृति से खिलवाड़ नहीं,
सबको ये संदेश है देना।
मानवीय भूल है 'कोरोना'
हर जीव का यह संसार,
अब न अत्याचार करना।
मुखौटा पहनकर रहना
साबुन से हाथ धोकर ही,
सभी लोग भोजन करना।
संकट में प्रार्थना है करना
ईश्वर के शरण में जाकर,
नतमस्तक है, हो जाना।
अभी संकट है 'कोरोना'
जीवन है तो संकट है,
हे पथिक! मत घबराना।
रचयिता
चैतन्य कुमार,
सहायक शिक्षक,
मध्य विद्यालय तीरा,
ग्राम+पत्रालय:- तीरा खारदह,
प्रखण्ड:- सिकटी,
भाया:- कुर्साकाँटा,
जिला:- अररिया,
राज्य:- बिहार।
जब तक साँस है जिन्दा,
तब तक हिम्मत न हारना।
अपनी भूल है जताना
प्रकृति से खिलवाड़ नहीं,
सबको ये संदेश है देना।
मानवीय भूल है 'कोरोना'
हर जीव का यह संसार,
अब न अत्याचार करना।
मुखौटा पहनकर रहना
साबुन से हाथ धोकर ही,
सभी लोग भोजन करना।
संकट में प्रार्थना है करना
ईश्वर के शरण में जाकर,
नतमस्तक है, हो जाना।
अभी संकट है 'कोरोना'
जीवन है तो संकट है,
हे पथिक! मत घबराना।
रचयिता
चैतन्य कुमार,
सहायक शिक्षक,
मध्य विद्यालय तीरा,
ग्राम+पत्रालय:- तीरा खारदह,
प्रखण्ड:- सिकटी,
भाया:- कुर्साकाँटा,
जिला:- अररिया,
राज्य:- बिहार।
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