आधुनिक मीरा
एक आधुनिक मीरा थी,
जन्मी २६ मार्च १९०७ को।
देकर साहित्य को अमूल्य निधि,
विलीन हुईं ११नवम्बर १९८७ को।।
रूप सौन्दर्य में ग्रहण था,
उनके श्यामल रंग का।
परित्यक्त हुईं पति से,
चुना फिर रास्ता साहित्य का।।
विरहाग्नि में जीवन भर वे,
साहित्य यात्रा करती रहीं।
छायावादी युग निशा में,
चाँद और सितारे जड़ती रहीं।।
साधारण जन से परे है,
मूर्धन्य साहित्य उनका।
उत्कृष्ट, रचनाएँ, लेख,
लाजवाब गद्य, पद्य उनका।।
देवनागरी लिपि की वे,
सरस्वती कहलाती थीं।
भावों की गूढ़ता को वे,
जन जन तक पहुँचा थीं।।
आओ मिल याद करें,
उनके साहित्य योगदान को।
आज सच्चा जन्मोत्सव मना,
उस कवियित्री महान को।।
रचयिता
बी0 डी0 सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्रथमिक विद्यालय मदुंरी,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।
जन्मी २६ मार्च १९०७ को।
देकर साहित्य को अमूल्य निधि,
विलीन हुईं ११नवम्बर १९८७ को।।
रूप सौन्दर्य में ग्रहण था,
उनके श्यामल रंग का।
परित्यक्त हुईं पति से,
चुना फिर रास्ता साहित्य का।।
विरहाग्नि में जीवन भर वे,
साहित्य यात्रा करती रहीं।
छायावादी युग निशा में,
चाँद और सितारे जड़ती रहीं।।
साधारण जन से परे है,
मूर्धन्य साहित्य उनका।
उत्कृष्ट, रचनाएँ, लेख,
लाजवाब गद्य, पद्य उनका।।
देवनागरी लिपि की वे,
सरस्वती कहलाती थीं।
भावों की गूढ़ता को वे,
जन जन तक पहुँचा थीं।।
आओ मिल याद करें,
उनके साहित्य योगदान को।
आज सच्चा जन्मोत्सव मना,
उस कवियित्री महान को।।
रचयिता
बी0 डी0 सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्रथमिक विद्यालय मदुंरी,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।
Very nice sir
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