जन जागरण

अब जनता को जागृत होने का बारी आया।
अपने घरों में बन्द रहना नर नारी को भाया॥
कोरोना से नहीं है रोना, न तो हमें है डरना।
स्वच्छता का शंखनाद कर इससे हमको लड़ना॥
संकल्प और संयम से ही सिद्धि हमें है पाना।
बिना आवश्यक कामों से कहीं नहीं है जाना॥
हारी हुई बाजी को अब फिरसे हम जीतेंगे।
प्रकृति के शरण में ही मानवता को सींचेंगे॥
हम जीवों पर दया करेंगे नहीं उन्हें अब मारेंगे।
उनके जीने के महत्व से खुद ही जीना जानेंगे॥
ईश्वर की सत्ता को समझें उसकी क्या मर्जी है?
एक विषाणु ने पूरे विश्व को दिया अपनी अर्जी है॥
शुद्ध आहार व शुद्ध विचार अब हमें अपनाना है।
धरती को स्वर्ग बनाकर जीवन सफल बनाना है॥
               
रचयिता
रवीन्द्र शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बसवार,
विकास क्षेत्र-परतावल,
जनपद-महराजगंज,उ०प्र०।

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