आगे-आगे बढ़ते जाना

चलते रहना मंज़िल पाना,
भावनाओं को वश में करना।
मन को निश्चल निर्मल रखना,
नित्य नये संकल्प भी लेना।
चलते रहना मंज़िल पाना।।
दिशा हीन जीवन न जीकर,
बिना रुके आगे बढ़ जाना।
सद्गुण विकसित करते रहना,
औरों पर न निर्भर रहना।
अपनी क्षमता खुद पहचान,
प्रभु का लेकर तुम बढ़ो नाम।
अभी नहीं तो कभी नहीं,
रुक जाएँ हम सही नहीं।
कहाँ हुई है चूक ये देखो,
घना अंधेरा चीर के रख दो।
रंग बदलती इस दुनिया में,
राह सही जो उस पर चलना।
यश पाना सम्मान कमाना,
पग-पग आगे बढ़ते जाना।

रचयिता
आसिया फ़ारूक़ी,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय अस्ती,
नगर क्षेत्र-फतेहपुर,
जनपद-फतेहपुर।

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