बेबस इंसान, जंग अभी जारी है

जंग अभी जारी है अदृश्य रिपु के आगे,
बेबस है इंसान इस दैत्य कोरोना के आगे।
थम सी गयी है जिंदगी,
रुक सी गयी है जिंदगी।
कैद हुए सब अपने ही घर पर,
पसर गया सन्नाटा अब सड़कों पर।
हार रहा है मानव इस वैश्विक महमारी के आगे।
बेबस है इन्सान इस दैत्य कोरोना के आगे।।
बढ़ता जा रहा प्रकोप कोरोना का,
रोजी-रोटी छीन रहा जन साधारण का।
लाचार हो रहा ज्ञान धरा के प्राणी का।
भयाक्रांत  है विश्व महामारी के आगे
बेबस है इंसान इस दैत्य कोरोना के आगे।
बच्चों की भी छीनी आज़ादी,
खौफ ने हर ली उनकी आबादी।
कहाँ कैसे सुरक्षित हैं यह कोई न जान पाये,
सिनेटाइज़र व हैंडवॉश हथियारों को अपनाये।
लॉकडाउन है देश इस महामारी के आगे,
बेबस है इंसान इस दैत्य कोरोना के आगे।

रचयिता
प्रतिमा उमराव,
सहायक शिक्षिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय अमौली,
विकास खण्ड-अमौली,
जनपद-फतेहपुर।

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