ईश वंदना

छंद- प्रतिभा( वार्णिक छंद)

मापनी -112 211 22 1 1 11 22

मन में ईश बसा तू, सुन प्रभु मेरे।
नित ध्याऊँ तुझको मैं, तुम उर मेरे।।
अब तो तू हर सारे, अवगुण मेरे।
हिय की पीर मिटाओ, सब दुख मेरे।।

मन में जोत जलाऊँ, प्रभु सुन मेरी।
अब आओ प्रभु मेरे, मत कर देरी।।
मन के भीतर देखूँ, नित छवि तेरी।
भजती हूँ परमात्मा, अब सुन हेरी।।

छवि तेरी अति प्यारी, इन नयनों में।
भर दे प्रेम विधाता, जगत उरों में।।
कर मुस्कान सभी के, मृदु अधरों में।
भर दे भक्ति दया को, सकल करों में।।

रचयिता
प्रतिभा चौहान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर,
विकास खंड-डिलारी,
जनपद-मुरादाबाद।

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