कोरोना की तकलीफ

भय की स्थिति चारों दिशा में
   पूरी दुनिया में छाया है
मानुष जाति के वजूद को
कोरोना ने ललकारा है

नगर-नगर में चर्चे इसके
 डरते सभी भयानक हैं,
जिसको लग जाए एक बार
फिर समझो उसकी आफत है।

बहुत से जतन किये दुनिया ने
जतन समझ नहीं आता है
हर एक दिन उत्तरोत्तर वृद्धि
धरती पर बढ़ जाता है,

  जीवन बद से बेकार हुआ
कुछ राह समझ नहीं आती है
जिसको सर्दी खाँसी हो जाए
फिर नींद चैन खो जाती है

भीड़ भाड़ से रखो दूरी
चाहे जो भी हो मजबूरी
हर मिनट धुलो हाथ
फिर नहीं आये तुम्हारे पास
 
रचयिता
श्रेया द्विवेदी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय देवीगंज,
विकास खण्ड-कड़ा,
जनपद-कौशाम्बी।

Comments

Total Pageviews