मानव का व्यवहार हो मानवता से प्यार

हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती,
हर छींक वैसे ही कोरोना नहीं होती।
हर चुनौती पहाड़ जैसी नहीं होती,
हर खाँसी वैसे ही कोरोना नहीं होती।।

जान बचाने वाली नर्सों के सिर भी तलवार लटकी है,
पर उन्होंने स्वार्थवश अपनी ड्यूटी नहीं झटकी है।
आज मैंने अखबार में प्रकाशित खबर देखी-
मकान मालिकों को उनके घर आने में है असहमति,
घर तक खाली कराने की बनायी है नीति।

पर अफसोस अपनी कालोनी की सोच बुरी है,
इस षड्यंत्र से मानवता शर्मसार खड़ी है।।

जैसे ये महामारी जानलेवा है,
वैसे दैनिक मजदूर की भूख जानलेवा है।
जैसे सोशल डिस्टेंन्स है बहुत जरूरी,
वैसे सोशल हेल्प भी है बहुत जरूरी।।

हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती,
हर खाँसी छींक वैसे ही कोरोना नहीं होती।

जुकाम, बुखार, खाँसी का इलाज कराना है,
यात्रा करते समय मास्क जरूर लगाना है।
सही जानकारी ही बचाव का खजाना है,
(बेवजह) कोई: रोड पर: ना निकले यही कोरोना है।।

 होता है वायरस सजीव निर्जीव के बीच कड़ी,
 इसलिए हाथ धोने से समस्या नहीं होती बड़ी।
हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती,
हर खाँसी छींक वैसे ही कोरोना नहीं होती।।

रचयिता 
गुलफ्शां,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय केवटरा (बेंता),
विकास खण्ड-देवमई,
जनपद-फतेहपुर।

Comments

Total Pageviews