नमामि नारी
प्रणाम तुझको, तू शक्तिशाली
नमामि नारी, नमामि नारी
वेदों ने तेरी महिमा को गाया,
भक्ति और शक्ति की तू काया,
हर किसी में साँस जैसी बहे तू
गंगा से निर्मल है पावन तू धारा
धरती सी धीर और अंबर सी न्यारी।
नमामि नारी-नमामि नारी।।
यशुदा बनके सुत को खिलाया,
राधा बनके नाच नचाया
लवकुश की माँ सीता बन के
धैर्य-धर्म का पाठ पढ़ाया,
अनुसुइया, सावित्री तुम पर हर नारी है बलिहारी।।
नमामि नारी-नमामि नारी।।
शांति- क्रांति की परिपोषक तुम मीरा,
लक्ष्मी की द्योतक तुम
कृष्ण प्रेम हित गरल पिया तो
देशप्रेम हित प्राण दिया।
1857 की तुम बन गयीं अमर चिंगारी।
नमामि नारी-नमामि नारी।।
मदर इंडिया बन हल खींचा।।
चावला बनके गगन को चूमा,
इंदिरा गांधी, प्रतिभा पाटिल और सुषमा से गौरव दूना।।
जल थल पर्वत हो या सागर चप्पे-चप्पे पर है नारी।।।
नमामि नारी-नमामि नारी।।
घर के अंदर गृहणी बनकर,
मजबूरन से अफसर बनकर,
छोटे- छोटे स्कूलों में,
भारत के लालों को गढ़कर,
दुख हरती, ममता की छाया
बनकर के सब की महतारी।।
नमामि नारी नमामि नारी।।
कभी दरोगा कभी डॉक्टर
जज, एसपी और बनी कलेक्टर
समाज सेविका औ ऑडिटर,
एक शक्ति में रूप मनोहर,
लक्ष्मी, काली, दुर्गा, सीता,
सरस्वती जग पर बलिहारी।।।
नमामि नारी-नमामि नारी।।
नन्ही कलियाँ फूल बनेंगी
स्नेहिल ज्योति बनेंगी
दुख हरेंगी।।
ममता का आँचल भर -भरकर,
ज्ञान और विज्ञान भरेंगी।।
शोषण और प्रदूषण हरने के हित इनकी है तैयारी।।।
नमामि नारी-नमामि नारी।।
रचयिता
डॉ0 स्नेहिल पाण्डेय,
प्रधानाध्यापिका,
अंग्रेजी माध्यम मॉडल स्कूल सोहरामऊ,
विकास खण्ड-नवाबगंज,
जनपद-उन्नाव।
नमामि नारी, नमामि नारी
वेदों ने तेरी महिमा को गाया,
भक्ति और शक्ति की तू काया,
हर किसी में साँस जैसी बहे तू
गंगा से निर्मल है पावन तू धारा
धरती सी धीर और अंबर सी न्यारी।
नमामि नारी-नमामि नारी।।
यशुदा बनके सुत को खिलाया,
राधा बनके नाच नचाया
लवकुश की माँ सीता बन के
धैर्य-धर्म का पाठ पढ़ाया,
अनुसुइया, सावित्री तुम पर हर नारी है बलिहारी।।
नमामि नारी-नमामि नारी।।
शांति- क्रांति की परिपोषक तुम मीरा,
लक्ष्मी की द्योतक तुम
कृष्ण प्रेम हित गरल पिया तो
देशप्रेम हित प्राण दिया।
1857 की तुम बन गयीं अमर चिंगारी।
नमामि नारी-नमामि नारी।।
मदर इंडिया बन हल खींचा।।
चावला बनके गगन को चूमा,
इंदिरा गांधी, प्रतिभा पाटिल और सुषमा से गौरव दूना।।
जल थल पर्वत हो या सागर चप्पे-चप्पे पर है नारी।।।
नमामि नारी-नमामि नारी।।
घर के अंदर गृहणी बनकर,
मजबूरन से अफसर बनकर,
छोटे- छोटे स्कूलों में,
भारत के लालों को गढ़कर,
दुख हरती, ममता की छाया
बनकर के सब की महतारी।।
नमामि नारी नमामि नारी।।
कभी दरोगा कभी डॉक्टर
जज, एसपी और बनी कलेक्टर
समाज सेविका औ ऑडिटर,
एक शक्ति में रूप मनोहर,
लक्ष्मी, काली, दुर्गा, सीता,
सरस्वती जग पर बलिहारी।।।
नमामि नारी-नमामि नारी।।
नन्ही कलियाँ फूल बनेंगी
स्नेहिल ज्योति बनेंगी
दुख हरेंगी।।
ममता का आँचल भर -भरकर,
ज्ञान और विज्ञान भरेंगी।।
शोषण और प्रदूषण हरने के हित इनकी है तैयारी।।।
नमामि नारी-नमामि नारी।।
रचयिता
डॉ0 स्नेहिल पाण्डेय,
प्रधानाध्यापिका,
अंग्रेजी माध्यम मॉडल स्कूल सोहरामऊ,
विकास खण्ड-नवाबगंज,
जनपद-उन्नाव।
Comments
Post a Comment