विश्व युद्ध

यह विशाल युद्ध है, विश्व के विरुद्ध  है,
चीन के आतंक का, बढ़ रहा समुद्र है।

हर राष्ट्र है व्यथित यहाँ, कैसा क्रूर दृश्य है,
हर कदम पे मृत्यु भरा, प्रलय सा भविष्य है।

इतने प्राण नित गए कि काल भी विक्षुब्ध है,
सब हैं छुपे घर में, सबका मार्ग अवरुद्ध है।

ये कोई संयोग नहीं, चीन का ही योग है,
विश्व में उसके दबदबे का, ये एक प्रयोग है।

साक्ष्य सब प्रत्यक्ष हैं, चीन के विपक्ष हैं,
एकमात्र शक्ति रहे, उसका यही लक्ष्य है।

उसको किंतु बोध नहीं, अभी जंग शुरू है,
वो देखे उसके सामने, खड़ा 'विश्वगुरू' है।

रचयिता
दीक्षा मिश्रा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय असनी द्वितीय,
विकास खण्ड-भिटौरा,
जनपद-फतेहपुर।


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