सुधर जाओ मानव
उस देश से इस देश तक,
कॅरोना फैल रहा इधर-उधर।
बहुत खिलवाड़ किये प्रकृति से,
मानव तुम अब जाओ सुधर।।
चिड़िया गा रही, गाय भी रम्भा रही,
कैद मनुष्य ही बैठा है बस घर।।
कॅरोना जैसे हज़ारों सूक्ष्म जीव से,
बचना है तो अब जाओ सँभल।
जागो मानव अब तो जागो,
कॅरोना कहीं न जाए निगल।
केवल मनुष्य पे क्यों करता प्रहार,
पशु पक्षी सब कर रहे भ्रमण।।
मनुष्य ने कोई जीव न छोड़ा,
तभी विपत्ति बन सबको तोड़ा।।
अब जीवन को खेल न समझो,
सूक्ष्म जीव की ताक़त समझो।।
चेतावनी दे रहा है ये कॅरोना,
सुधर जाओ अब देर करो ना।।
रचयिता
आसिया फ़ारूक़ी,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय अस्ती,
नगर क्षेत्र-फतेहपुर,
जनपद-फतेहपुर।
कॅरोना फैल रहा इधर-उधर।
बहुत खिलवाड़ किये प्रकृति से,
मानव तुम अब जाओ सुधर।।
चिड़िया गा रही, गाय भी रम्भा रही,
कैद मनुष्य ही बैठा है बस घर।।
कॅरोना जैसे हज़ारों सूक्ष्म जीव से,
बचना है तो अब जाओ सँभल।
जागो मानव अब तो जागो,
कॅरोना कहीं न जाए निगल।
केवल मनुष्य पे क्यों करता प्रहार,
पशु पक्षी सब कर रहे भ्रमण।।
मनुष्य ने कोई जीव न छोड़ा,
तभी विपत्ति बन सबको तोड़ा।।
अब जीवन को खेल न समझो,
सूक्ष्म जीव की ताक़त समझो।।
चेतावनी दे रहा है ये कॅरोना,
सुधर जाओ अब देर करो ना।।
रचयिता
आसिया फ़ारूक़ी,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय अस्ती,
नगर क्षेत्र-फतेहपुर,
जनपद-फतेहपुर।
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