महिला सशक्तीकरण 208, सरिता सिंह, बरेली
*👩👩👧👧महिला सशक्तीकरण विशेषांक-208*
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*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की बहनों की संघर्ष और सफ़लता की कहानी*
(दिनाँक- 31 मार्च 2020)
नाम:- सरिता सिंह।
पद:- सहायक अध्यापक।
विद्यालय:- प्राथमिक विद्यालय सुकटिया।
*सफलता एवं संघर्ष की कहानी :-*
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प्रथम नियुक्ति:- 06/09/2018
वर्तमान नियुक्ति :- 06/09/2018
2019 में नामांकित बच्चे:- 119
*सुपर टेट के बाद नियुक्ति मिलने की खुशी के वो पल मैं कभी नहीं भूल सकती । पर जब पता चला कि विद्यालय घर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है तब कुछ पल के लिए उस खुशी में विराम सा लगा। पिताजी अब उस स्थति में नहीं थे कि वह मेरे साथ चल सके समस्या यह नहीं थी कि स्कूल 40 किलोमीटर है समस्या यह थी कि 40 किलोमीटर की दूरी अकेले किस तरह से तय हो। जैसे तैसे स्कूल पहुंचे पता चला स्कूल तो गांव से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर है । पहली बार घर से बाहर उसमें स्कूल गांव से 2 किलोमीटर की दूरी पर फिर उसने भी लोगो का रास्ते मे मुझे देखने का अंदाज़ बार बार यह आभास कराता था, कि मैं एक लड़की हूं।स्कूल में चारदिवारी न थी व पेड़ों की संख्या ज्यादा होने से मुझे तब कुछ समय तक डर सा लगता था जब स्टाफ में कभी-कभी मैं अकेली रह जाती थी।अब बात आती है पठन-पाठन की उसमें भी लोगों की अलग मानसिकता की मैडम तो हमेशा फोन से ही पढ़ाई कराती है रहती हैं।किसी लड़की को इस तरह से जब बात सुनने को मिले तो मन दुखी तो होगा ही,कि मैडम हमेशा फोन पर ही लगी रहती है फोन से ही पढ़ाती है। पर यही सोच हमेशा बनी रही मेरी की मेरे लिए मेरे बच्चे से ज्यादा और उनके भविष्य से ज्यादा कुछ नहीं। मैं उनके लिए सही कर रही हूं।खैर धीरे धीरे इन सारी समस्याओं को मैंने इस सोच के साथ सुधार करना प्रारम्भ कर दिया है कि समस्या हमारी है तो उनको हल भी हमें ही करना है। इस तरह की कई समस्याओं आती रही,और काफी हद तक अपने स्तर से उन समस्याओं को ठीक भी किया है।अब मैं संतुष्ट हूं मुझे अब डर नहीं लगता पहले जैसा क्योंकि अब मैं यह जान चुकी हूं कि नारी को अगर चुनौतियां मिली है तो उसमें लड़ने की शक्ति भी नारी में ईश्वर ने दी है।मेरी चार लाइन सभी नारी के लिए।
"तुम हौसला और जज्बात साथ लिए चलो।
मां-बाप की दुआएं साथ लिए चलो।
जिंदगी में शमा की जरूरत नहीं तुम्हे,
तुम खुद एक जुगनू हूं रोशनी साथ लिए चलो"।
_✏संकलन_
🙏🙏
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