विश्व रंगमंच दिवस
यूँ तो दुनिया हर दिन,
रंगमंच पर अभिनय करती है।
कभी नायक कभी खलनायक,
कभी ग्रह, नक्षत्रों की सैर करती है
बड़ी बहुरुपिया है ये दुनिया,
डबल, तिबल अनेक रोल करती है
मुताबिक ज़रूरत के अपनी,
हर नाटक का अभिनय करती है।
ऊपर वाले ने कहा --
अभिनय बन्द करो।
हकीकत से नाता जोड़कर,
पहचानने की मुझे कोशिश करो।
कोरोना जैसे सूक्ष्म विषाणु से,
बचने के उपाय खोजती है ।
सावधानी ही है उपाय इसका,
दुनिया रंगमंच पर सीख देती है।।
आओ संकल्प लें हम मिलकर,
अस्तित्व ही मिटा देंगे, कहर,
जहर, ठहर न सकेगा अब,
शीघ्र ही मिटा देंगे कोरोना प्रहर।।
रचयिता
बी0 डी0 सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्रथमिक विद्यालय मदुंरी,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।
रंगमंच पर अभिनय करती है।
कभी नायक कभी खलनायक,
कभी ग्रह, नक्षत्रों की सैर करती है
बड़ी बहुरुपिया है ये दुनिया,
डबल, तिबल अनेक रोल करती है
मुताबिक ज़रूरत के अपनी,
हर नाटक का अभिनय करती है।
ऊपर वाले ने कहा --
अभिनय बन्द करो।
हकीकत से नाता जोड़कर,
पहचानने की मुझे कोशिश करो।
कोरोना जैसे सूक्ष्म विषाणु से,
बचने के उपाय खोजती है ।
सावधानी ही है उपाय इसका,
दुनिया रंगमंच पर सीख देती है।।
आओ संकल्प लें हम मिलकर,
अस्तित्व ही मिटा देंगे, कहर,
जहर, ठहर न सकेगा अब,
शीघ्र ही मिटा देंगे कोरोना प्रहर।।
रचयिता
बी0 डी0 सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्रथमिक विद्यालय मदुंरी,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।
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