आएगी छाँव फिर से

टल जाएगी रात भी अंधेरी,
आएगी छाँव फिर से घनेरी।

अभी धीमा धीमा सा सबेरा,
अंशु आशा ने सभी को टेरा।

नीड़ में निज बैठ आँधी चले,
विश्वास हो मन कल हों भले।

प्रिय देखना होगी पूनम उजेरी,
मिटेगी रात काली छाई अंधेरी।

विहँसते रवि की बताती लाली,
मना लेना पुनः जीवन दीवाली।

ये कारा नहीं एक अवसर मिला,
ठहरने से तुम्हारे सबका भला।

हुई वीरान राहें नीरवता बिखेरी,
विश्वास करना मन होगी उजेरी।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रभारी अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

Comments

Total Pageviews